world poetry day: Mukesh Maniar from Surendranagar shared a poetry with me that i might have written in 2004 on Holi in bumper to bumper.
रंगों की बारिश थी, सब दोस्त घुल गए..
इन में कौन सा रंग था अपना हम भूल गए..
रंगों का त्यौहार था..
हर कोई चित्रकार था..
हर कोई केनवास था..
पर अपना रंग कौनसा था..क्या पता था...
Best RJ in Gujarat, Radio Mirchi